(ये सभी आंकड़े मेरी साल 2015 की यात्रा पर आधारित है, अभी वास्तु स्थिति कुछ और भी हो सकती है)
चंदनबाड़ी में चेक होते हैं रजिस्ट्रेशन
चंदनवाड़ी पहुंचने पर यात्रियों के पंजीकरण चेक किए जाते हैं। चंदनवाड़ी में भी यात्रा का बेस कैंप है। यहां आपको ढेर सारे भंडारे चलते मिलेंगी। जो निशुल्क है। देखा जाए तो यात्रा मार्ग पर आपको अपनी जेब से एक पैसा खर्च नहीं करना पड़ेगा, रास्ते में आपको ढेर सारे भंडारे मिलेंगे।
घोड़े-खच्चर वालों से कर सकते हैं मोलभाव
घोड़े, खच्चर वाले आपको यात्रा के लिए जाने पर मोलभाव करते दिखेंगे। अगर आप घोड़े या खच्चर से अमरनाथ यात्रा पर जाना चाहते हैं तो इनसे मोलभाव कर सकते हैं। सभी घोड़े खच्चर वालों के लिए श्राइन बोर्ड ने यात्रियों से ली जानी वाली रकम निर्धारित की है। ये उससे ज्यादा कभी नहीं ले सकते हैं, इसलिए आप इनसे मोलभाव कर पैसे कम करा सकते हैं।
सबसे पहली चढ़ाई पिस्सू टॉप
यहां से आपकी यात्रा की परीक्षा शुरू हो जाती हैं क्योंकि पिस्सू टॉप की सांस फुला देने वाली खड़ी चढ़ाई का सामना करना होगा।
पिस्सू टॉप की पहली ही चढ़ाई वाकई सांस फूल देने वाली है। पिस्सू टॉप पर कुछ देर आराम करने के बाद आप आगे के सफ़र पर चल पड़िए। पिस्सू टॉप के बाद कुछ दूरी तक आपको रास्ता आराम वाला मिलेगा मगर उसके बाद फिर से आपको कई चढ़ाई चढ़नी होगी।
शेषनाग झील रोमांच से भरी
शेषनाग की चढ़ाई भी इनमें से एक है वो भी यात्रियों की सांस फूला देने वाली है। थक जाएं तो थोड़ा बैठ जाएं आराम करें। यहां के कुदरती सौंदर्य का लुत्फ उठाएं और आगे के सफ़र पर चल पड़े। बीच बीच में आपको भंडारे मिलते रहेंगे जहां भोले बाबा के भक्त निशुल्क भाव से आपकी सेवा करते हैं।
शेषनाग झील का दृष्य |
खाने-पीने की नहीं होगी कोई कमी
यहां आपको खाने से लेकर पीने तक हर सुविधा मिलेगी।
यात्रा की चढाई काफी कठिन है इसलिए मुमकिन हो तो अपने साथ उतना ही जरूरी सामान लेकर चलें जो जरूरी है। क्योंकि ऊंची चढ़ाई पर शरीर का वजन है खींच पाना मुश्किल होता है फिर आपकी सामान के साथ दिक्कत बढ़ जाती है। ज्यादातर जगह पर आपको घोडा-खच्चर वाले और यात्री एक साथ चलते मिलेंगे इसलिए थोड़ा सावधानी बरतना जरूरी है क्योंकि यहां रास्ता बहुत संकरा होता है इसलिए कोई भी चूक करना बड़ी भूल होगी।
अपने साथ मुंह पर लगाने का मास्क ज़रूर ले लें क्योंकि घोड़े-खच्चर की लीद हवा के साथ उड़ती है जिससे सांस लेने में तकलीफ होती है।
चढ़ाई चढ़ाई के लिए आप अपने साथ एक डंडा या लाठी ज़रूरी ले लें। इससे पहाड़ पर चढ़ने में काफी मदद मिलेगी। इस बात का भी विशेष ध्यान रखें कि जत्थे के आपके सभी साथी एक साथ चलते रहें। क्योंकि साथ रहेंगे तो हौसला भी बना रहेगा और रास्ते की थकान का भी एहसास नहीं होगा। मेरा अपना अनुभव है कि गुफा से पहुंचने से पहले ही काफी सारे भक्त इतने थक चुके होते हैं कि उन्हें मजबूरी में घोड़ा या खच्चर करना ही पड़ता है।
पंचतरणी पहुंचकर करें रात्रि विश्राम
पंचतरणी में यात्रियों के ढहरने के लिए कैंप लग होते हैं। ये गुफा से करीब 6 किमी दूर है। कोशिश रखिए कि आप थोड़ा आराम करते रहे और उसके साथ ही चलते भी रहें। अगर ऐसा करेंगे तो आप अगर सुबह 5 बजे पहलगाम से रवाना होते हैं तो शाम 7 बजे तक पंचतरणी पहुंच सकते हैं। पंचतरणी में भी खाने पीने की सब व्यवस्था निशुल्क होती है। आपको यहां रात रुकने के लिए टैंट में बिस्तर किराए पर लेना होगा। उसके लिए आपको कुछ पैसे चुकाने वालों होंगे, आप मोलभाव कर पैसे कम करा सकते हैं।
सुबह जल्दी उठते ही हो जाए रवाना
सुबह तमाम जरूरी काम निपटाने के बाद आप पवित्र गुफा की तरफ रवाना हो जाईए। अब गुफा के दर्शन करने हैं तो सवाल ये है कि स्नान कहां किया जाए। इसकी भी चिंता करने की जरूरत आपको नहीं है। अमरनाथ गुफा के पास ही प्रसाद की दुकान चलाने वाले गर्म पानी की बाल्टी रखते हैं। ये एक बाल्टी गर्म पानी के 50 से 60 रुपए लेते हैं। साथ ही ये अस्थाई टॉयलेट का भी इंतजाम करके रखते हैं। आप इनके पास से ही प्रसाद ले सकते हैं। साथ ही अपना तमाम जरूरी सामान जैसे मोबाइल, बैग इनके पास छोड सकते हैं क्योंकि गुफा में मोबाइल या कैमरा ले जाने पर मनाही है। गुफा तक पहुंचने के लिए आपके कुछ सीढ़ियां पैदल चढ़नी होगी। ये सीढ़ियों की चढ़ाई भी काफी खड़ी है। यकीन मानिए जैसे ही आप बाबा बर्फानी की पवित्र गुफा के दर्शन करेंगे आपके सारी थकान दूर हो जाएगी। अमरनाथ गुफा के पास आपको खाने पीने का कोई सामान नहीं मिलेगा। यहां ना तो कोई चाय की दुकान होगी, कुछ भंडारे चल रहे होंगे उनमें ही चार नाश्ता,ब्रेड और दूसरा सामान प्रसाद के रूप में मिलता है।
नीरज राठी
यह हिंदुओं के लिए एक लोकप्रिय तीर्थ स्थान है - जुलाई-अगस्त में श्रावणी मेला के त्योहार के आसपास 400,000 के मौसम के दौरान 45 लोग श्रावण के हिंदू पवित्र महीने के साथ आते हैं। अमरनाथ गुफा, कश्मीर के भारतीय राज्य में स्थित है, हिंदू धर्म में सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। भगवान शिव को समर्पित, मंदिर और रूपों प्राचीन हिंदू पौराणिक कथाओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा साल 5,000 से अधिक पुराने होने का दावा किया है।
जवाब देंहटाएंआपने सही कहा, इस बार अमरनाथ यात्रा 28 जून से शुरू होने जा रही है। जय बाबा बर्फानी
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