28 जून से शुरू होगी अमरनाथ यात्रा, 1 अप्रैल से यात्रा के लिए पंजीकरण होगा शुरू

 बाबा बर्फानी के भक्तों के लिए एक बहुत अच्छी खबर है। इस बार अमरनाथ यात्रा कोरोना की वजह से स्थगित नहीं होगी। 28 जून से अमरनाथ यात्रा शुरू होने जा रही है जबकि अमरनाथ यात्रा 22 अगस्त को संपन्न होगी।

 


अमरनाथ यात्रा के लिए 1 अप्रैल से पंजीकरण/रजिस्ट्रेशन शुरू हो जाएगा। श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने यात्रा 2021 के एक अप्रैल से शुरू हो रहे अग्रिम पंजीकरण की तैयारियां तेज कर दी गई हैं। इसके लिए श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने देशभर में जम्मू-कश्मीर बैंक, येस बैंक और पंजाब नेशनल बैंक की 446 शाखाओं की सूची जारी की है। इसमें जम्मू-कश्मीर में 17 बैंक शाखाओं के शिव भक्तों का पंजीकरण किया जाएगा।


पंजीकरण के लिए कंपल्सरी हेल्थ सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य है, इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने भी तैयारी शुरू कर दी है। स्वास्थ्य निदेशालय ने सभी सीएमओ से डॉक्टरों के नाम नामित करने को कहा है। नामित डॉक्टर और चिकित्सा केंद्र से ही प्रमाणपत्र जारी होंगे। 

इस बार भोले के भक्तों के लिए बोर्ड की ओर से सुविधाओं में कई तरह का विस्तार किया जा रहा है, जिसमें उन्हें बालटाल से दोमेल तक 2.75 किमी मार्ग पर निशुल्क बैटरी कार सेवा भी मिलेगी। जिला जम्मू में पीएनबी बैंक अखनूर, पीएमबी बैंक रिहाड़ी चौक, बीसी रोड, जेएंडके बैंक बख्शी नगर जम्मू, जेएंडके बैंक गांधीनगर जम्मू, जेएंडके बैंक टूरिस्ट रिसेप्शन सेंटर जम्मू में यात्रियों का अग्रिम पंजीकरण होगा।



बालटाल के रास्ते अमरनाथ यात्रा


बालटाल के रास्ते श्री अमरनाथ गुफा की दूरी 14 किमी है। पहलगाम की तुलना में बालटाल का रास्ते भले ही ढाई गुना कम हो, मगर ये रास्ता काफी कठिन और सीधी चढ़ाई वाला है इसलिए इस रूट से ज्यादा बुजुर्ग और बीमार नहीं जाते हैं।  


थका देने वाली चढ़ाई

बालटाल मार्ग पर आपको थका देने वाली चढ़ाई मिलेगी। जो आपकी सांस फुला देगी। कई बार तो आपको दो कदम आगे रखने भी मुश्किल हो जाएंगे। मगर फिर भी यात्री बाबा बर्फानी का नाम लेकर अपने सफर पर आगे बढ़ते जाते हैं।



खाने-पीने का  बेहद काम इंतजाम

बालटाल मार्ग पर आपको खाने पीने का बेहद ही कम इंतजाम मिलेगा। जहां पहलगाम मार्ग पर रास्ते में ढेर सारे लंगर और भंडार लगे होते हैं वो यहां पर आपको नहीं मिलेंगे। इसलिए ये मार्ग यात्रियों के हौसले की काफी परीक्षा भी लेता है।



पहलगाम से संकरा रास्ता

बालटाल मार्ग पहलगाम मार्ग की तुलना में काफी संकर है। कई जगह पर तो आपको सिर्फ पगड़ंगी पर ही चलना पड़ेगा। जहां सावधानी बरतना बेहद ही जरूरी है। इसलिए आपको बेहद सावधानी पूर्वक ही सफर करना पड़ेगा। कभी भी यात्रा शुरू पर चप्पल पहनकर ना आएं। साथ ही मजबूत जूते ही पहनकर चलें, वरना रास्ते में कहीं पर भी जूते टूट गए तो दूसरे नहीं मिल पाएंगे। और काफी परेशानी होगी। यात्रा मार्ग पर इस तरह की दुकानें महज कुछ ही जगह पर मिलेंगी।




बालटाल यात्रा मार्ग पर प्राकृतिक रोमांच कम है

बालटाल यात्रा मार्ग पर पहलगाम की तुलना में रोमांच बेहद ही कम है। जहां आपको पहलगाम मार्ग पर काफी रोमांच देखने को मिलेगा वो आपको इस रास्ते पर नहीं मिल पाएगा।

 

 


अमरनाथ यात्रा के लिए ऑनलाइन पंजीकरण और रजिस्ट्रेशन

अगर आप श्री अमरनाथ यात्रा के लिए ऑनलाइन पंजीकरण कराना चाहते हैं तो आप इसके लिए ऑनलाइन पंजीकरण करा सकते हैं। इस लिंक http://www.jksasb.nic.in/ पर क्लिक कर ऑनलाइन पंजीकरण कराया जा सकता है।। 

श्री अमरनाथ यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन 17 मई तक स्थगित/ Registration for Shri Amarnath Yatra 2020 is postponed till 17 May, 2020



श्री अमरनाथ यात्रा 2020 के लिए यात्रियों के पंजीकरण को एक बार फिर 17 मई तक स्थगित कर दिया गया है। कोरोना महामारी और लॉकडाउन के चलते तीसरी बार पंजीकरण तिथि को बदला गया है। 


इससे पहले 15 अप्रैल, 4 मई तक यात्री पंजीकरण को स्थगित किया गया था। बोर्ड की ओर से 23 जून को यात्रा को शुरू किया जाना प्रस्तावित है। श्राइन बोर्ड अधिकारियों का कहना है कि मौजूदा हालात को देखते हुए यात्री पंजीकरण की तिथि को स्थगित किया गया है। 





मौजूदा लॉकडाउन और कोरोना महामारी के चलते बैंक शाखाओं में यात्री पंजीकरण प्रक्रिया को शुरू करना संभव नहीं है। कोविड संकट के चलते यात्रा की तैयारियों पर असर पड़ा है। अभी तक पारंपरिक बालटाल और पहलगाम ट्रैक पर तैयारियां शुरू नहीं हो पाई हैं। 


अमरनाथ यात्रा 2020 पर फिलहाल स्थिति साफ नहीं

दिल्ली- नीरज राठी बाबा बर्फानी की प्रसिद्ध अमरनाथ यात्रा 2020 इस बार होगी या नहीं इस पर फिलहाल स्थिति पूरी तरह से साफ नहीं है। श्राइन बोर्ड ने फिलहाल यात्रा के लिए पंजीकरण पर 4 मई तक के लिए रोक लगा रखी है। कोरोना की वजह से 3 मई तक देशभर में लॉकडाउन है। उसके बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी की इस बार अमरनाथ यात्रा होगा या फिर स्थगित की जाएगी। ऐसे में हम सभी भक्तों से यही गुजारिश करेंगे कि वो फिलहाल धैर्ये बनाए रखें। सरकार तभी कोई फैसला ले पाएगी जब स्थिति सामान्य होगी।
अमरनाथ यात्रा मार्ग 

कम समय में कैसे हो पाएंगे अमरनाथ में इंतजाम- अमरनाथ यात्रा माैर्ग से लेकर पवित्र गुफा तक यात्रा शुरू होने से 2 महीने पहले ही तमाम तैयारियां शुरू हो जाती है। मगर इस बार लॉकडाउन की वजह से तमाम तैयारियां अधूरी ह हैं। यात्रा मार्ग पर ढेर सारे लंगर और भंडारे चलते हैं। जिसकी तैयारी अभी तक नहीं हुई है। इसके अलावा पहलगाम बेस कैंप में यात्रियों के ठहरने की व्यवस्था होती है वो अभी तक नहीं हुई हैं।तो वहीं यात्रा मार्ग पर घोड़ा-खच्चर संचालक भी आस लगाए बैंठे हैं।

अमरनाथ यात्रा पर जाने से पहले ज़रूरी बातों का रखें खयाल

श्री अमरनाथ जी की यात्रा की योजना से जुड़ी अहम जानकारी हासिल करें
श्री अमरनाथ जी की पवित्र गुफा
हिंदूओं की सबसे पवित्र अमरनाथ यात्रा 1 जुलाई से शुरू हो गई है जो कि 15 अगस्त तक चलेगी। जो भी भक्त बाबा बर्फानी की पवित्र गुफा के दर्शन करना चाहते हैं वे अभी से बैंक में अपना रजिस्ट्रेशन करा लें। या फिर ऑलनाइन रजिस्ट्रेशन भी करा सकते हैं। इसी ब्लॉग पर आपको यात्रा से जुड़ी तमाम जानकारी मिल जाएगा। यात्रा फॉर्म का ऑनलाइन लिंक और ऑफलाइन यात्रा फॉर्म डाउनलोड लिंक दिया गया है।
अमरनाथ यात्रा पर घोड़े पर सवार श्रद्धालु
समुद्र तल से 3880 फीट की ऊंचाई पर दुर्गम पहाड़ियों में बाबा अमरनाथ के दर्शनों के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की यात्रा मुस्लिम समुदाय के सहयोग के बिना मुमकिन नहीं। वार्षिक अमरनाथ यात्रा सांप्रदायिक सौहार्द की भी प्रतीक बन चुकी है। आस्था का प्रतीक प्राकृतिक ¨हगलिंग के दर्शनों के लिए श्रद्धालु बेसब्री से अमरनाथ यात्रा के शुरू होने का इंतजार करते हैं, ठीक उसी तरह कश्मीर संभाग के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले मुस्लिम समुदाय के लोग भी इस यात्रा के शुरू होने का इंतजार करते हैं। पिट्ठू व घोड़े चला कर एकत्रित होने वाली धनराशि ने समुदाय के लोगों के घर पर वर्ष भर चूल्हा जलता है। इस वर्ष अमरनाथ यात्रा के दौरान पंद्रह हजार के करीब मुस्लिम समुदाय के लोग अमरनाथ यात्रा में अपना सहयोग दे रहे हैं। इसमें पिट्ठू, पालकी वाले, घोड़े वाले तथा दुकानदार शामिल हैं। अमरनाथ यात्रा के दौरान पवित्र हिमलिंग की पूजा अर्चना के लिए प्रयोग होने वाली सामग्री को स्थानीय मुस्लिम उपलब्ध करवाते हैं। गुफा के पास टेंट लगा कर श्रद्धालुओं के ठहरने का बंदोबस्त भी मुस्लिम समुदाय के लोग करते हैं। अमरनाथ यात्रा गांदरबल जिले के बालटाल तथा अनंतनाग जिले के नुनवान से शुरू होती है। श्रद्धालुओं को इन आधार शिविरों से पवित्र गुफा तक पहुंचाने के लिए उपलब्ध घोड़े तथा पालकी उठाने वाले कंधे मुस्लिमों के हैं। यात्रा के कई पड़ावों पर श्रद्धालुओं को खाने-पीने और नहाने के गर्म पानी की व्यवस्था भी की स्थानीय मुस्लिम समुदाय के लोग ही करते हैं। यात्रा के दौरान यदि मौसम खराब होता है तो स्थानीय मुस्लिमों द्वारा स्थापित इन अस्थायी शिविर में श्रद्धालुओं को आसरा दिया जाता है।

कैसे करें श्री अमरनाथ जी की यात्रा





2014 की यात्रा से जुड़ा मेरा अनुभव- 

अब मुझे लग रहा था कि यात्रा से कई महीने पहले जो मैने प्लानिंग की थी वो सही साबित हुई। मेरी प्लानिंग के मुताबिक हमने 23 जुलाई 2014 की सुबह यात्रा शुरू की थी। 24 जुलाई 2014 को रात होने से पहले ही हम मनीगाम भी पहुंच गए थे। मतलब पहलगाम के रास्ते यात्रा करने और बालटाल से नीचे आने पर दो दिन का समय लगा। यात्रा के दौरान ऐसा भी नहीं है कि हम बहुत जल्दी में रहे हों। मगर और अच्छा होता कि हमारे पास एक दिन और वक्त होता। इसलिए अगर आप यात्रा पर जाएं तो अपने मुताबिक प्लान कर सकते हैं। 2 दिन में भी आप यात्रा कर नीचे आ सकते हैं। दूसरी बात यात्रा की गाइलाइन का वाकई ध्यान रखें, उन्हीं फालतू की बातें ना समझे। मसलन अगर आपको सांस से संबंधित कोई बीमारी हो तो डॉक्टरों की सलाह के बाद ही आएं। क्योंकि इतनी ऊंचाई पर आने के बाद वाकई ऑक्सीज़न कम हो जाती हैं। 

जम्मू में आने पर मोबाइल के सभी प्रीपेड कनेक्शन बंद हो जाते हैं। इसलिए अपने साथ एक पोस्टपेड सिम जरूर लेकर चलें। मगर चंदनवाड़ी के बाद बीएसएनएल के अलावा आपका कोई भी पोस्टपेड सिम काम नहीं करेगा। यहां पर भी बीएसएनएल का सिम आसानी से मिल जाता है उसे भी आप ले सकते हैं। साथ ही रास्ते में कई जगह पर एसटीडी की सुविधा भी होगी मगर वो पैसे बहुते ज्यादा लेते हैं। यहां के मौसम का कोई भरोसा नहीं होता है गर्म कपड़े तो साथ लेने ही होते हैं साथ ही बारिश से बचाव का उपाय भी रखें। सभी साथ मिलकर सफर करें क्योंकि इससे आपको एक दूसरे के बारे में जानकारी मिलती रहेगी, क्योंकि आगे पीछे होने पर संपर्क करने में बहुत दिक्कत आती है। अगर आप जम्मू से यात्रा पर आ रहे हों तो अपनी अलग से गाड़ी बुक करा सकते हैं। इससे आपको आने जाने में काफी सहूलियत होगी।
2015 की तस्वीर शेषनाग झील की दृश्य


यात्रा मेरी नजर में------------------ 
अमरनाथ यात्रा को लेकर तैयारियां वैसे तो उस वक्त शुरू कर दी थी जब हमने यात्रा के लिए पंजीकरण करवाया था। पहली बार ऐसी यात्रा पर जा रहे थे जिसे हिंदुओं की सबसे पवित्र और कठिन यात्रा कहा जाता है इसलिए उत्सुकता होना भी लाजिमी था। यात्रा के लिए चूंकि पंजीकरण कराना जरूरी हो गया है इसलिए यात्रा पर जाने से पहले थोड़ा भागदौड़ भी करनी पड़ी। भागदौड़ इसलिए क्योंकि यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए श्राइन बोर्ड ने हेल्थ सर्टिफिकेट ज़रूरी कर दिया था। हेल्थ चेकअप के बाद ही बैंक में पंजीकरण करवाया जा सकता है। हेल्थ सर्टिफिकेट के लिए भी श्राइन बोर्ड की तरफ से ही अस्पताल निर्धारित किए जाते हैं। उन्हीं अस्पतालों से हेल्थ सर्टिफिकेट लेकर बैंक में पंजीकरण कराया जा सकता है। पहले पहल तो हम हेल्थ सर्टिफिकेट को हल्के में लेते रहे। मसलन हमने सोचा की ये तो आराम से बन जाएगा, और खर्च भी नहीं होगा। मगर अस्पताल में जाने के बाद ही पता चला कि इसे बनवाने में एक आम आदमी को कितना झंझट है। सरकारी अस्पताल वैसे ही कामकाज के मामले में पीछे रहते हैं। जब मामले एक ऐसी यात्रा का हो जिसे दुर्गम कहा जाता है तो डॉक्टरों की सौ नौटंकी होती है। खैर हेल्थ सर्टिफिकेट के लिए हमें ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ी, एक जानकार मिल गए जिन्होंने ये काम आसानी से करा दिया। मगर एक-एक हेल्थ सर्टिफिकेट के लिए साढे सात सौ रुपए चुकाने पड़े। ये सब देखकर हम सभी लोग हैरत में थे। हम सोच रहे थे कि 50 से 100 रुपए का खर्च होगा। मगर इसके लिए तो कहीं ज्यादा पैसे खर्च हो गए। पर कोई नहीं, यात्रा पर जाना था इसलिए पैसे की कोई ज्यादा फिक्र नहीं थी। अस्पताल से हेल्थ सर्टिफिकेट लेने के बाद हमने बैंक में पंजीकरण करा लिया। 6 लोगों को एक साथ जाना था, अच्छा रहा कि यात्रा के लिए सभी को एक ही दिन की तारीख भी मिल गई। वैसे इसमें कोई ज्यादा झंझट नहीं है ग्रुप में यात्रा करने वाले यात्रियों को एक ही दिन की तारीख के लिए यात्रा की परमिशन मिल जाती है। पहलगाम से अमरनाथ यात्रा के बारे में हमने काफी सुना था। इसलिए हमने भी इसी रास्ते से यात्रा करने के लिए पंजीकरण करा लिया। हमने 23 जुलाई 2014 को अमरनाथ यात्रा के लिए पंजीकरण की तारीख ली। पंजीकरण कराने के कुछ ही दिन बाद मैंने यात्रा की तैयारियां शुरू कर दी। पहली बार यात्रा पर जा रहे थे इसलिए इसके बारे में कुछ आइडिया नहीं था। पास के ही एक भाई से इतनी जानकारी जरूर मिली थी कि यात्रा मार्ग में खाने की कोई दिक्कत नहीं रहती है। जगह जगह भंडारे चलते रहते हैं। 

चलिए अब यात्रा से जुड़ी कुछ और बातों को ज़िक्र करते हैं। 

 1------सबसे अहम बात यात्रा को लेकर आप पहले से ही प्लानिंग तैयार करके चलें मसलन आपको यात्रा के दौरान कुल कितने दिन बिताने हैं। अगर आपको यात्रा के अलावा जम्मू-कश्मीर में कहीं ओर घूमना है तो उसका प्लान पहले ही तैयार कर लें। हो सके तो एक या दो जगह ही घूमें ओर वो भी यात्रा पर जाने से पहले, क्योंकि यात्रा से लौटने के बाद आप इतने थक चुके होंगे कि कहीं घूमने की हिम्मत नहीं होगी। 

यात्रियों के रुकने के लिए बनाए गए टैंट का दृश्य



2----- अमरनाथ यात्रा पर जाने के लिए दो रास्ते हैं पहला पहलगाम और दूसरा बालटाल, ये पंजीकरण के दौरान ही तय हो जाता है कि आपको किस रास्ते से यात्रा करनी है। इसलिए जिस रास्ते से पंजीकरण है उससे ही यात्रा करें। पहलगाम के रास्ते पवित्र गुफा की दूरी करीब 42 किमी है। पहलगाम से चंदनवाड़ी तक का 16 किमी का सफ़र गाड़ी से तय करना होता है। यहां पर श्राइन बोर्ड की तरफ से हो गाड़ियां लगाई जाती है। ये प्रत्येक यात्री से 150 से 200 रुपए किराया लेते हैं। इनके अलावा यहां दूसरी गाड़ियों को यात्री ले जाने की परमिशन नहीं होती है। सुबह 5 बजे से गाड़ियों को चंदनवाड़ी के लिए रवाना कर दिया जाता है। इसलिए ज़रूरी है कि सुबह जल्दी उठकर गाड़ियों तक पहुंच जाए। ये गाडियां या तो पहलगाम में आर्मी के बेस कैंप से मिल जाती है, नहीं तो आर्मी के चेक पॉईंट से भी गाड़ी मिल जाती है। अगर आपकी संख्या 4 यात्रियों की है तो अलग से गाड़ी भी बुक हो जाती है। इसमें आपको सुविधा ये रहेगी कि गाड़ी वाला सुबह जल्दी ही आपको लेकर चेक पॉईंट पर पहुंच जाएगा जहां से जत्थे रवाना होते हैं। 

3-पहलगाम में यात्रियों के ठहरने के लिए आर्मी का बेस कैंप लगा होता है जिसमें यात्रियों के ठहरने से लेकर, खाना पीना, दवाइयां और जरूरत का बाकी सामान मौजूद रहता है। खाना आप यहां मुफ्त में खा सकते हैं क्योंकि भोले के भक्त भंडारा देते हैं। ये आपकी श्रद्धा है कि आप बदले में क्या देते हैं। ठहरने के लिए यहां टैंट की व्यवस्था होती है। आप चाहे तो यहां रुक सकते हैं नहीं तो यहां से करीब 6 किमी दूर जाकर पहलगाम में होटल भी ले सकते हैं। होटल के कोई ज्यादा चार्ज नहीं है। 6 सौ से 7 सौ रुपए प्रतिदिन के हिसाब से होटल मिल जाता है।


श्री अमरनाथ जी की पवित्र गुफा

 

4-पहलगाम में आपको ढेर सारे घोड़े, खच्चर वाले मिल जाएंगे जो यात्रियों को यात्रा पर ले जाने के मोलभाव करते रहते हैं। श्राइन बोर्ड हालांकि हर साल यात्रियों के लिए गाइडलाइन जारी करता है मगर इसके बादजूद भी खच्चर मालिक अपने हिसाब से मोलभाव करते हैं। मगर इतना तो है, अगर आपको या खच्चर करना है तो दोनों तरफ से आने जाने के 2500 से ज्यादा है रुपए लगेंगे। ये रेट मैं 2014 की यात्रा के मुताबिक बता रहा हूं। क्योंकि हर साल दाम अलग होते हैं। कई बार ये आपके ऊपर भी होता है कि आप इनसे कितना मोल भाव कर पाते हैं। 4-अगर आप पहलगाम के रास्ते जाते हैं तो आपको पहले चंदनबाडी तक 16 किमी का सफर कार से तय करना होगा। चंदनबाड़ी के बाद से पैदल यात्रा शुरू हो जाती है। सही मायने में चंदनवाड़ी पहुंचने पर ही एहसास होता है कि अमरनाथ यात्रा शुरू हुई है। यहां आपको ढेर सारे पंडाल, और खच्चर घोड़े वाले मिलेंगे। कुछ घोड़े वाले आपको मनोबल तोड़ने की कोशिश भी करेंगे। मसलन घोड़ा ले लीजिए पैदल बहुत कठिन है। जो मेरा अपना अनुभव रहा है उसकी अगर बात करुं तो घोड़े वाले भी ग़लत नहीं है। ये यात्रा वाकइ कठिन है। मगर कहते हैं कि आस्था जब हो तो हर कठिन से कठिन दूरी आसान हो जाती है। यात्रा पर हम चार लोग थे। हम में से एक के पैर में दिक्कत थी इसलिए उसके लिए घोड़ा करना ज़रूरी था। मगर बाकी ने पैदल ही यात्रा करनी की ठानी थी, सो चल पड़े अगर आगे के सफ़र पर। 

5- कुछ आर्मी के जवानों ने हौसला बढ़ाया कि ज्यादा मुश्किल नहीं है बस दो मुश्किल चढ़ाई है पिस्सू टॉप और शेषनाग, उनकी बातों से थोड़ा हिम्मत आई तो हम आगे के लिए चल पड़े। यात्रा शुरु हुई तो लगा रास्ता आसान है पर पिस्सू टॉप की पहली ही चढ़ाई ने जैसी शरीर की सारी एनर्जी चूस ली हो। लगा घोड़े वाले सही कह रहे थे। रास्ता वाकई आसान नहीं है। पिस्सू टॉप में कई भंडारे लगे थे। कुछ देर आराम और खाना खाने के बाद हम आगे के लिए चल पड़े। हम पहले से ही तय करके चले थे कि हो सकेगा तो आज ही पवित्र गुफा तक पहंच जाएं इसलिए पूरी हिम्मत के साथ आगे बढ़ रहे थे। आराम उतना ही कर रहे थे जितना ज़रूरी था। पिस्सू टॉप से आगे बढ़ तो पहाड़ों पर जमी बर्फ का खुशनुमा एहसास हुआ। लगा मानो जन्नत में आ गए। 

अमरनाथ गुफा का दूर से लिया गया दृश्य



6-हम चलते रहे, अब शेषनाग की तरफ बढ़ते जा रहे थे। मगर मेरे दोनों साथी अब थककर चूर हो चुके थे। मैं उनका हौंसला बार बार बढ़ा रहा था। बीच बीच में कई जगह पर भंडारे भी मिल रहे थे हम थोड़ा बहुत खाने के साथ आगे बढ़ते रहे। लोगों से जानकारी लेते रहे कि गुफा कितनी दूर है तो कुछ ने बताया कि आज आप पंचतरणि तक ही पहुंच पाएंगे क्योंकि वहां तक पहुंचते पहुंचते दिन छिप जाएगा। पंचतरणि से गुफा की दूरी 6 किमी है। हुआ भी यही पंचतरणि तक पहुंचते पहुंचते हमें रात हो गई। पंचतरणि में यात्रियों के ठहरने के लिए टैंट लगे होते हैं। साथ ही खाने के लिए यहां भी भंडारे लगे हैं। टैंट वाले बिस्तर के हिसाब से पैसे लेते हैं। जब हमने यात्रा की थी तो प्रत्येक व्यक्ति के 100 रुपए दिए थे। 

अमरनाथ यात्रा मार्ग पर तैनात सेना के जवान के साथ 


7-हमने 23 जुलाई की सुबह 5 बजे यात्रा शुरू की थी और पैदल चलते चलते हमें 12 घंटे से ऊपर का वक्त हो गया था। थकावट इतनी थी कि टैंट में बिस्तर पर लेटते ही नींद आा गई। सुबह जल्दी उठकर हम गुफा की तरफ चलने लगे। मगर एक साथी को छाती में दर्द की शिकायत होने लगी। दरअसल पंचतरणि में ऑक्सीजन की मात्रा काफी कम हो जाती है इसलिए ज्यादातर लोगों को यहां इस तरह की शिकायत होती है। किसी का सांस फूलने लगता है तो कुछ को छाती में दर्द की शिकायत होती है। चक्कर आने लगते हैं। इसी को देखते हुए यहां पर कई मेडिकल कैंप लगाए गए हैं। अपने साथी को दवाइ दिलाने के बाद हम गुफा की तरफ बढ़ने लगे। गुफा तक पहुंचने में हमें 3 घंटे लग गए। दरअसल यहां की चढ़ाई भी कोई कम नहीं है। पंतचरणि से गुफा के लिए भी घोडा किया जा सकता है। घोड़े वाले 300 से 400 रुपए एक व्यक्ति के लेते हैं। गुफा के करीब पहुंचे तो चारों तरफ बर्फ ही बर्फ थी। हिमलिंग के दर्शन करने से पहले सोचा कि स्नान कर लिया जाए। यहां प्रसाद देने वाले दुकानदार ही यात्रियों के लिए नहाने की व्यवस्था करके रखते हैं। पानी की यहां कोई व्यवस्था है नहीं इसलिए ये लोग जैसे तैसे नहाने के लिए गर्म पानी का इंतजाम करते हैं। दुकानदार एक बाल्टी गर्म पानी के 30 से 40 रुपए लेते हैं। इन्होंने कुछ अस्थायी बाथरुम बनाए होते हैं जिनमें स्नान किया जा सकता है। खैर ऐसी जगह पर अगर दो मग पानी भी शरीर पर गिर जाए तो समझिए आप नसीब वाले हैं। नहाने और प्रसाद लेते के बाद हम गुफा की तरफ चलने लगे। गुफा में चूंकि मोबाइल ले जाना मना है इसलिए दुकानदार के पास ही सारा सामान जमा कर दिया। 


अमरनाथ गुफा मार्ग पर जमी बर्फ


8-अब हम पवित्र गुफा के दर्शन के लिए चल दिए। यहां से गुफा की दूरी अभी करीब एक किमी थी। गुफा के करीब पहुंचे तो पुलिस और आर्मी का जबरदस्त पहरा था। ये लोग यात्रियों की तलाशी के बाद ही आगे जाने दे रहे थे। चप्पल,जूते, भी गुफा से पहले ही उतारने पड़ते हैं। गुफा तक पहुंचने के लिए करीब 500 मीटर की खड़ी सीढ़ियों से चढ़ाई चढ़नी पड़ती है। यहां यात्रियों की दिक्तत थोड़ा इसलिए बढ़ जाती है क्योंकि पैडियों पर बर्फ जमी रहती है जिससे उन पर पैर रखना भी मुश्किल होता है। मगर जैसे ही यात्री पवित्र गुफा तक पहुंचते हैं और बाबा बर्फानी के दर्शन होते हैं तो एक पल के लिए मानो सारी थकावट दूर हो गई हो। मैंने जब बाबा के दर्शन किए तो एक सपना सच होने जैसा लगा। जिन बाबा बर्फानी को मैंने अब तक तस्वीरों और वीडियों के जरिए देखा था अब मैं उनके साक्षात दर्शन कर रहा था। गुफा के बारे हर किसी ने ये भी सुना होगा कि यहां पर कबूतर के जोड़े के दर्शन करने से ही यात्रा सफल होती है। हमें भी कबूतर के एक जोड़े के दर्शन हुए। ये कबूतर कुछ अलग ही तरह के थे। शायद हमारी भी यात्रा बाबा बर्फानी ने स्वीकार की हो। कुछ देर रुकने के बाद हम वापस उस दुकानदार के पास आ गए जहां पर हमारा सामान था। गुफा के पास आपको एक और चीज हैरत में डाल सकती है। दरअसल यहां इतनी बर्फ जमी होती है कि हर काम बर्फ पर ही करना पड़ता है। ज़मीन कहीं नजर नहीं आती है इसलिए बर्फ के ऊपर ही दुकानें लगी होंगी, बर्फ के ऊपर से लोग गुजर रहे होते हैं, बर्फ पर ही टैंट लगे होंगे। 

9-बाबा बर्फानी के दर्शन करने के बाद अब हमें वापस लौटना था। आज 24 जुलाई 2014 थी, अगले दिन साढे 6 बजे हमें जम्मू स्टेशन ट्रेन पकड़ने के लिए पहुंचना था इसलिए अब जल्दी से जल्दी लौटने की तैयारी थी। पहले हमने पहलगाम के रास्ते वापस लौटने की सोची। मगर फिर हमने बालटाल के रास्ते नीचे आने की तैयारी की। दरअसल बालटाल के रास्ते हमें 14 किमी पैदल चलना पड़ता जबकि पहलगाम से आने पर 26 किमी, मतबल आधे से भी कम दूरी चलनी पड़ रही थी। बालटाल से उतरना पहलगाम से कहीं आसान भी था। दोनों रास्तो से उतरते वक्त भी आपको कुछ जगह चढ़ाई तो चढ़नी ही पड़ती है मगर बालटाल से उतरते वक्त कम चढाई है। इसलिए हम इसी रास्ते से उतरने लगे। बालटाल से उतरते वक्त हमें अहसास हुआ है कि ये रास्ता भी कोई आसान नहीं है। जो लोग इस रास्ते से आते हैं उनके लिए भी चढ़ाई चढ़ाना आसान नहीं। दरअसल बालटाल के रास्ते चढ़ाई काफी खड़ी है। साथ ही रास्ता भी संकरा है। मगर इसे फिर भी पहलगाम से आसान रास्ता ही कहा जा सकता है। पहलगाम के रास्ते की तारीफ इसलिए की जाती है क्योंकि उस पर रोमांच बहुच है। आपको कुदरत के एक से एक हसीं नज़ारे यहां पर देखने को मिलेंगे। इसलिए मेरी सलाह तो यहीं है कि आप पहलगाम के रास्ते का आनंद भी जरूर लें। करीब 6 घंटे का सफर तय करने के बाद हम बालटाल पहंच गए। मगर हमारे पास समय कम था अगले दिन हमें सुबह ही जम्मू के लिए निकलना था इसलिए हमने मनीगाम तक पहुंचने की तैयारी कर ली। मनीगाम भी यहां से करीब 70 किमी दूर है। मनीगाम में यात्रियों के ठहरने के लिए बेसकैंप है। यहां पर भंडारे और टैंट लगे हैं। आप आराम से ठहर सकते हैं। हमारे मनीगाम पहुंचने तक हमारी गाड़ी का ड्राइवर भी पहुंच चुका था। रातभर आराम करने के बाद हम सुबह जल्दी उठे और जम्मू के लिए चल दिए। उम्मीद थी कि ट्रेन पकड़ने के लिए हम वक्त पर पहुंचे जाएंगे। खैर बाबा बर्फानी का आर्शिवाद रहा और हम करीब आधे घंटे पहले जम्मू स्टेशन पहुंच गए।

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